पीआर में फ्रंट एंड और बैकएंड का महत्व

फ्रंट एंड और बैकएंड का नाम कुछ साल पहले केवल आईटी क्षेत्र में सुननें को मिलता था परन्तु इन दोंनो नामो और इनके कार्यो का प्रचलन लगभग सभी क्षेत्रों में हो रहा है| पहले फ्रंट एंड से ही काम चल जाता था लेकिन आज दोनों का रहना बहुत जरुरी है अपितु कोई भी संस्था अच्छे से आगे बढ़ नहीं सकता और खासकर पब्लिक रिलेशन के सन्दर्भ में तो कतई नहीं!

सुनने में आता है कि फ्रंट एंड का रोल सबसे अहम रोल होता है लेकिन हमें यह नही भूलना चाहिए कि  बैक एंड भी कही न कही बहुत ही अहम रोल अदा करता है| एक चीज तो समझने वाली है कि ये दोनों कार्य श्रृंखलाबद्द जरुर है | आम तौर पर पीआर (PR)में जो फ्रंटएंड पर काम करते है जैसे क्लाइंट हैडल करना , उनको मैनेज करना, उनके तरह- तरह के विभिन्न प्रकाशनों में समाचारों के मांगो के अनुसार चलना, उनसे डाटा/कथन निकलवाना, उनके कार्यक्रम को मैनेज करना, हमेशा उनके प्रति सक्रीय रहना, जब कोई न्यूज की ऑपरचुनिटी बने उनतक साझा करना, कोई संकट आ जाये तो उससे उबारना, उनकी छवी पर एक आंच आने के बजाय उनको आगे बढाने के लिए हमेशा प्रयास में जुटे रहना, विभिन्न तरह के विचारों को साझा करना | लगभग- लगभग बहुत सारे कार्य है जो फ्रंट एंड पे सामना किये जाते है | इसके बाद का जो रोल आता है वो और भी मजेदार होता है| क्यूंकि नबर वन बनना आसान है लेकिन नबर वन बने रहना आसान नहीं|

एक चीज तो है कि अगर पीआर (Public Relations)में बैकएंड मजबूत नहीं है तो फ्रंटएंड जायद देर तक टिक नहीं सकता| क्यूंकि कहीं न कही बैकएंड एक फ्रंटएंड का धरातल होता है| बैकएंड का काम बहुत कम दीखता है फ्रंट एंड की तुलना में| बैकएंड का रोल ठीक वैसे होता है जैसे वेबसाईट पर सीएसएस(CSS) का रोल होता है|

                        लेखक सदाम हुसेन PR Professionals    

             

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