दीपा मलिक, दिव्यांगो की प्रेरणा



रियो पैरालिंपिक गेम्स में दीपा मलिक ने देश के लिए शॉटपुट इवेंट में सिल्वर मेडल जितने के साथ ही, इन गेम्स में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पैरा एथलीट भी बन गईं । दीपा ने 36 साल की उम्र में अपने खेल की शुरुआत की थी, अमूमन जब कोई भी एथलीट अपने खेल के ढलान पर रहता है उस समय दीपा ने अपने खेल की शुरुआत की | दीपा शॉटपुट के अलावा भी कई गेम्स खेलती हैं जैसे जेवलिन थ्रोडिस्कस थ्रोस्विमिंग और मोटर स्पोर्ट्स । एक खेल व्यक्तित्व होने के साथ ही दीपा एक एंटरप्रेन्योर भी रही हैं। 

उन्होंने सात वर्षों तक कैटरिंग और रेस्टोरेंट बिजनेस भी किया है। इन सब के अलावा दीपा एक मोटिवेशनल और इंस्पिरेशनल स्पीकर भी हैं । वे अलग-अलग समारोह में लोगों को मोटिवेट करने के लिए भाषण देतीं रहती हैं । साथ ही वह पहली भारतीय महिला हैं जिन्हें संशोधित व्हीकल चलाने का लायसेंस मिला था 46 साल की दीपा मलिक के जीवन में बहुत सी परेशानियाँ आयीं लेकिन उन्होंने उनसे हार नहीं मानी , एक जुझारू प्रवृति और आत्मविश्वास के साथ निरंतर आगे बढ़ती रहीं | उन्होंने पैरालिंपिक गेम्स में मेडल जीत कर सिर्फ देश और अपने परिवार को खुश नहीं किया बल्कि उन सभी दिव्यांगो को खुश किया जो अपने शारीरिक स्थिति की वजह से कुछ करने से हिचकिचाते है या फिर मजाक में लिए जाते हैं | दीपा मालिक की जीत दिव्यांगों के लिए एक प्रेरणा है |

उनकी जीत दिव्यांगों के आत्मविश्वास को मजबूत करने के साथ ही महिला सशक्तिकरण को भी मजबूत करेगा | ऐसी मेनहती और आत्मविश्वास से पूर्ण महिला को दिल से सलाम |

                                     लेखक गौरव गौतम PR Professionals


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