राजनितिक पार्टियों के मीडिया प्रभारी और मीडिया की निष्पक्षता

राजनितिक पार्टियों के संगठन में, मीडिया प्रभारी पद से आप सभी अवगत होंगे | इनके कार्य से भी आप अंजान नहीं होंगे , इनका कार्य है मीडिया प्रबंधन | मीडिया के लोंगों को मैनेज करना और उसी अनुरूप अपने पार्टी से जुड़े सामाचार को मैनेज करना |

अब सवाल यह उठता है की क्या मीडिया निष्पक्ष रूप से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहा है ? तब जब इसे लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में परिभाषित किया गया है |

इस प्रश्न के उत्तर को समझा जा सकता है | आज प्रत्येक मीडिया (Media)समूह (प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक, वेब ) आर्थिक आधार पर अपने कंटेंट और समाचार का चुनाव करते हैं | इनके आर्थिक समृद्धि का प्रमुख स्रोत विज्ञापन है | अब पहले की पत्रकारिता नहीं रही जब लोग सामाजिक परिवर्तन के लिए समाचार पत्र निकालते थे और सामाचार लिखते थे |

प्रत्येक मीडिया समूह किसी न किसी पार्टी के अपरोक्ष हस्तक्षेप से या फिर उस पार्टी के नेताओं के सहयोग से चल रहा है ( यह जाँच का विषय हो सकता है ) | और जो ऐसे किसी तरीके से जुड़ाव नहीं रखता वह अपने आर्थिक नीतियों के हिसाब से सत्ता के अनुरूप खुद को ढाल लेता है | फिर हम मीडिया की निष्पक्षता को कैसे सही ठहरा सकते हैं ?

जब किसी पार्टी के किसी नेता द्वारा कानून का उलंघन होता है या फिर कोई अपराध या गलतियां होती है तब यह पार्टी के मीडिया प्रभारी डैमेज कण्ट्रोल में लग जाते है और मीडिया समूह को मैनेज करने में जुट जाते है | अक्सर सत्ताधारी पार्टी का दबाव ज्यादा रहता है क्योंकी अपने छवि के साथ -साथ कुर्सी भी बचानी होती है | अपने विचारधारा वाले पत्रकारों को पार्टी देना उनके गलत या सही कार्यों को कराना ,यही इनका मीडिया प्रबंधन हैं | अपने पार्टी के इमेज को बनाने के लिए यह मीडिया का भरपूर उपयोग करते हैं , और मीडिया यह भूल जाती है की क्या सही है और क्या गलत क्योंकी उनके समाचार का आधार आर्थिक है |

वास्तव में मीडिया की यह भूमिका कहीं न कहीं भारतीय जनमानस के विचार को , सामाजिक गतिविधियों और विकास को तवज्जों नहीं दे रहा , अगर दे भी रहा तो वह सिर्फ ब्रेकिंग न्यूज़ की तरह आता है और फिर गायब भी हो जाता है | मीडिया (Media)की भूमिका , विभिन्न राजनितिक पार्टियों के मीडिया प्रभारी तय करने लगे हैं | अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब मीडिया अपनी विश्वसनीयता खो देगी और लोग अन्य माध्यम के द्वारा अपने विचारों के अभिव्यक्ति में विश्वास करने लगेंगे | मीडिया को पार्टी के मीडिया प्रभारियों के प्रभाव से बचाना होगा अन्यथा लोकतंत्र का यह चौथा स्तम्भ डगमगा कर धराशायी हो जायेगा |


लेखिका अमृता राज सिंहPR Professionals
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