जहाँ अंग्रेजी महारानी वहाँ हिंदी नौकरानी

बात भले ही कड़वी लगे लेकिन हमें इस सच्चाई से तक़रीबन रोज गुजरना पड़ता हैं | भारत में अंग्रेजी की तुलना अन्य भारतीय भाषाओ से करे तो महारानी और नौकरानी वाली बात याद आती हैं | हिंदी और अन्य भारतीय  भाषाओ की दुर्दशा जितनी यहाँ हैं शायद ही किसी अन्य देश ने अपने भाषा की इतनी दुर्दशा की होगी | भारत में बहुत सारे युवा अंग्रेजी के आतंक से ग्रसित हैं | लेकिन आपको बता दे की अब वो दिन दूर नहीं हैं जब महारानी नौकरानी हो जाएगी और नौकरानी महारानी | शायद इसकी शुरुआत हो भी चुकी हैं | ब्रिटेन में जनमत-संग्रह के बाद यूरोपियन यूनियन से अलग होते ही यूनियन के देशों ने अंग्रेजी का बहिष्कार करना शुरू कर दिया हैं | सूत्रों पर यकीन करे तो यूरोपियन यूनियन के लगभग 27 देश एक विशेष प्रस्ताव लाकर अपने काम काज के भाषा में अंग्रेजी का बहिष्कार करना शुरू कर देंगे | अभी तक उनकी तीन मुख्य भाषा थीफ़्रांसिसी ,जर्मन और अंग्रेजी | प्रस्ताव के बाद अब केवल दो रह जायेंगी | अब सवाल यह उठता हैं की क्या भारत भी गुलामी के प्रतिक इस भाषा से छुटकारा पा सकता हैं ? अंगेजी को एक संपर्क भाषा के रूप में जरुर अपनाया जाये लेकिन इसको थोपा नहीं जाना चाहिए | 

क्या हम सब भी जापान , चीन और अन्य देशों की तरह अपने भाषा को प्यार नहीं कर सकते ? भारत जैसा युवा देश अगर ठान ले की हमें हिंदी को बढ़ावा देना हैं तो यक़ीनन हम जिस प्रकार योग को विश्व स्तर पे ले गए हैं ठीक उसी प्रकार हिंदी को भी ले जा सकते हैं | जरा सोच के देखिये अगर कोई दुसरे देश का इन्सान आपसे हिंदी में बात करे तो आपको कैसा लगेगा | हर जगह अपनापन मह्सुस करेंगे और आपके काम करने की क्षमता भी दोगुनी हो जाएगी | बात अगर टेक्निकल अड़चन की करे तो वहा भी हम हिंदी को अंग्रेजी की अपेक्षा सरलता से पेश कर सकते हैं | 


अब तो हिंदी में आप डोमेन भी बुक कर सकते हैं |माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनी हिंदी के लिए भारत में नयी नयी योजनाये ला रही हैं जिससे की कंप्यूटर चलाना आसान हो जायेगा | मल्टीनेशनल कंपनी भारत के लोगों को लुभाने के लिए हिंदी में नए नए प्रयोग कर रहे हैं ,उदाहरण के तौर ओए मोबाइल का भी उपयोग आप हिंदी सहित भारत के अन्य प्रांतीय भाषा में कर सकते हैं और हम सब इतना होने के बावजूद अंग्रेजी के पीछे भाग रहे हैं | मैं कितने ऐसे मेधावी छात्रो को जनता हूँ जो अंग्रेजो के डर के कारण अपने साक्षात्कार में फेल हो गए | शायद आप भी बहुतो को जानते होंगे | तो आइये हम सब मिलकर हिंदी को आगे ले जाये और अंग्रेजी के डर और आतंक से आजादी पाए |

 लेखक गौरव गौतम -‘पि. आर प्रोफेशनल्स’ 

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