लैंगिक विकलाँग उर्फ़ हिजड़ा उर्फ़ किन्नर

किन्नर,किन्नर,किन्नर....अरे हम किन्नर नहीं लैंगिक विकलाँग हैं जिन्हें तुम हिजड़ा कहते हो  बंटी ने चिल्लाते हुए ,दुखी ,थके और हारे हुए मन से मुझे यही बात बोली |एक अंग्रेजी ब्लॉग को पड़ते हुए पता चला की लैंगिक विकलाँग(विपरीतलिंगियों) की जितनी दुर्दशा भारत में हैं उतनी कही नहीं हैं |यहाँ तक की पाकिस्तान में भी इनको भारत के तुलना में कई अधिकार दिए गए हैं | 

आप सब में से शायद बहुत कम लोंगो को पता होगा की हिमाचल के जनजातीय जिला किन्नौर के निवासी किन्नौरा व किन्नर से जाने जाते हैं और पौराणिक कथाओ के अनुसार वो वहा के सबसे भद्र जातियों में गिने जाते थे । संविधान में भी इन्हें किन्नौरा और किन्नर से संबोधित किया गया है। 

किन्नौर वासियों को जब जनजाति का प्रमाण पत्र दिया जाता है तो उसमें स्पष्ट लिखा होता है – ‘the people of Kinnaur District belongs to Kinnaura or Kinnar Tribe which is recognized as Scheduled Tribe under the Scheduled Tribes List(modification) order 1956 and the State of Himachal Pradesh Act, 1970| यह बात खुलकर तब सामने आई जब मधुर भंडारकर की फिल्म ट्रैफिक सिग्नल लोगो के सामने आई | प्रिंट और इलैक्ट्रानिक मीडिया में किन्नर शब्द लैंगिक विकलाँग के लिए प्रयुक्त होने लगा और मीडिया ने भी इसी नाम से संबोधन करना शुरू कर दिया | 

बाद में अमर उजाला ने एक पत्र जारी कर इस शब्द का प्रयोग इस अर्थ में ना करने को कहा | कहने का तात्पर्य यह है की अगर लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ ने यह ठान लिया की लैंगिक विकलाँग को उनका हक़ दिलाना हैं तो वह दिन दूर नहीं जब ये भी हमारे बीच अपने अधिकार को लेकर साथ-साथ देश की तरक्की में अपना योगदान दे सकेंगे |

                  लेखक गौरव गौतम -‘पि. आर प्रोफेशनल्स’

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