हैप्पीनेस मंत्रालय
भूटान
के हैप्पीनेस इंडेक्स मॉडल से प्रेरणा लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रदेश
में मिनिस्ट्री ऑफ हैप्पीनेस (आनंद का मंत्रालय) बनाने की घोषणा की है। इसके
माध्यम से लोगों के जीवन से तनाव ख़त्म करने और उन्हें आनंद से रहने के उपाय बताये
जाएंगे। देश
में पहली बार किसी सरकार द्वारा ऐसा किया जा रहा है। यह खुशियों का मंत्रालय होगा, यानी हैप्पीनेस मिनिस्ट्री आफ मध्य प्रदेश। किसी भी राज्य की खुशहाली का आकलन केवल भौतिक
विकास से नहीं किया जा सकता। इसलिये इस मंत्रालय का गठन किया जा रहा है |
सवाल
यह उठता है कि क्या दिन प्रतिदिन हमारे समाज में मूल्यों का पतन होता जा रहा है? खुशियां खोती जा रही हैं ? आज यह वक़्त आ गया की,
उन्हें सहेजने के लिए औपचारिक जतन करना पड़ रहा है?
खुशियों
के खोने का सबसे बड़ा कारण जीवन में मूल्यों का खोना है।
आज की वर्तमान तकनिकी दुनिया में ऐसा ही हो रहा है। यह महसूस तब होता है जब दुख और कष्ट के समय में कौन और कितने लोग साथ
आते हैं। किसी अपनों के गुजर जाने पर हम फेसबुक और व्हाट्सअप पर RIP लिख के कोरम पूरा कर लेते है जबकि बहुत से लोग
तो ये भी नहीं जानते की इसका मतलब क्या होता है | दुसरे लोंगो के आगे बढ़ने पर हम तारीफ नहीं करना
चाहते बस मन में जलन लिए उसके बुरे की कामना करने लगते है | इसमें
सवेदना कहाँ है ? विकास हम सबकी ज़िन्दगी को कुछ दे
रहा है, तो बहुत कुछ छीन भी रहा है | और
जब हम एकांत में बैठ के सोचते है तो समझ में आता है की हमारा सामाजिक ताना-बाना
टूट रहा है। आज उसी ताने बाने को बनाने के लिए
जनसम्पर्क के बिशेषज्ञों की सेवाएं ली जा रही है , अब आप ही बताइए कि जिस समाज के बंधन
को तोड़ रहे है उसी को आभासी रूप में जोड़ रहे है , क्या हम सफल हो पायेंगें ?
हो
सकता हो की हैप्पीनेस मंत्रालय से जुड़े लोंगो के जीवन में खुशियाँ आ जाये क्योकिं
सरकार के एक और विधायक , मंत्री
बन जायेंगे परन्तु राज्य की जनता की खुशियाँ स्थाई रह पाएंगी या खोई खुशियाँ वापस
मिल पाएंगी | ये तो वक़्त के साथ ही जाना जा सकेगा |
हैप्पीनेस इंडेक्स मॉडल, पुरे भारत में लागु करना चाहिए |
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