पब्लिक रिलेशन- नए अवतार की रीलांचिंग!


जनसंपर्कपीआरपब्लिक रिलेशनसुनने में भले ही यह शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची लगते हों लेकिन इनके अर्थ हर किसी के संदर्भ के अनुरूप भिन्न है । महज शब्द से उद्योग की शक्ल अख्तियार कर चुका पीआर आज आम से खास की यात्रा की बेहद महत्वपूर्ण कडी बनकर उभरा है। इस अपरिहार्य सत्य को नेताअभिनेताकार्पोरेटप्रोफेशनलखिलाडीसरकारपक्ष-विपक्ष यहां तक की आम आदमी भी भांप चुका है। अब इसके सटीक फार्मूले की राह पर चलकर न केवल सम्मान और सेलीब्रिटी स्टेटस बल्कि सत्ता के गलियारे की नई राह का भी स्रजन करना संभव है। आम से खास तक के सफर को नई पहचान देने वाला यह उद्योग स्वयं अपने अस्तित्वपहचान और परिभाषा की जमीन तलाश रहा है।

हिंग्रेजी भाषा में कहें तो आईडेंटिटी क्राईसिस यानि पहचान का संकट। संस्कृतिसभ्यतासमाज हो या व्यवहारविचारव्यापार हर किसी के स्वरूप को टेक्नोलॉजी नामक शब्द ने न केवल नया स्वरूप दिया है बल्कि इनके मूलभूत चरित्र में भी अभूतपूर्व बदलाव किया है। सबसे अहम कि यह शब्द स्वयं इतना क्षणभंगुर या इनोवेटिव हो चला है कि इसके अनवरत बदलाव के अनुरूप स्वयं को ढालना आम-खास ही नहीं बल्कि भाषाउद्योगसरकारसमाजदेश-विदेश के लिए भी अपरिहार्यता बन चुकी है। 

अर्थशास्त्र के अनुसार मांग और पूर्ति का नियम बाजार में किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस की कीमत और साख का निर्धारण करता है। पब्लिक रिलेशन भी इस सिद्धान्त से अछूता नहीं है। ग्राहक की मांग के अनुरूप इस उद्योग ने भी वैश्विक पटल पर न केवल अपने लिए साख तैयार की बल्कि लोगों की साख तैयार करने का मार्गदर्शक भी बना। भारतीय बाजार में भी इस उद्योग ने बेहद शांति के साथ लेकिन सशक्त जगह बना ली है। अब सशक्त से शास्वत बनने के लिए उद्योग को परंपरागत परिपाटी को धीरे-धीरे छोडते हुए मूलभूत नीतिगत ढांचे में बदलाव की जरूरत है। तकनीकनीतिगत संरचना और सैधांतिक बदलावों के जरिए इसकी परिभाषापहचान और अस्तित्व को नया आयाम दिया जा सकता है। 

इस क्षेत्र की एक वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में विश्व स्तर पर इस क्षेत्र में प्रति व्यक्ति आय में 5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसको नियंत्रित करने के लिए पब्लिक रिलेशन को स्वयं के स्वरूप में बदलाव के साथ-साथ क्लांइट यानि उपभोक्ता को भी परामर्शप्रशिक्षणनिरीक्षण के साथ-साथ आत्म अवलोकन करवाने की जरूरत है। एक सशक्त नीतिगत सलाहकार बनने की राह तय करने के यह सब बेहद अहम होगा। जिसके लिए डिजीटलसोशल और परंपरागत सबके उपयुक्त सम्मिश्रण के नवीन फार्मूले को तैयार कर उद्योग को फिर से नए अवतार में रीलांच करना होगा। 


नवोन्मेष की ललक लेकर पहुंचे आज के अभिमन्यु सरीखे प्रोफेशनल्स को ही अब सांतवे चक्र को भेदने की रणनीति तैयार करनी है। हांइस बार तकनीक ने हमें नए हथियारों से लैस कर दिया है बस अपने मस्तिष्क को पूर्वाग्रह से बचाते हुए नए युग की गौरव गाथा की संरचना के लिए मंथन के रास्ते होते हुए नए लक्ष्य को तयकर उसके लिए नई दिशादशा और मार्ग का निर्माण करना है। 

लेखक दुर्गेश त्रिपाठी, पीआर प्रोफेशनल्स 


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