थप्पड़ से डर नहीं लगता साहब ,पीआर से लगता हैं

विगत कुछ सालों से राजनीतिक बाजीगरी का नया उस्ताद कहे जाने वाले प्रशांत किशोर के पीआर स्किल्स पर पहले मोदी फिर नितीश और अब राहुल गाँधी फ़िदा हो गए हैं | इनके बताये हुए पीआर फार्मूले राजनेताओं के लिए विजयी मंत्र सिद्ध हो रहे हैं | शायद यही कारण रहा होगा की आगामी उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव में कांग्रेस ने अपने और राहुल गाँधी के छवी को सुधारने के लिए प्रशांत किशोर और इनकी कंपनी से करोड़ो की डील पे समझौता किया हैं | यह पीआर का  सकारात्मक डर ही रहा होगा जिसके चलते कांग्रेस मुख्यालय में प्रशांत किशोर के 40 लोगों की भारी भरकम टीम को बैठने की जगह दी गयी हैं |

आज के दौर में अगर भारत की बात करे तो पीआर उद्योग एक नयी मुकाम हासिल कर चूका हैं जिसकी जरुरत सभी को महसूस होने लगी हैं |टाटा हो या बिडला ,अंबानी हो या अदानी, मैगी को या पल्स टॉफ़ी, पीआर की जरुरत सभी ने महसूस की हैं | अब वह दौर आ चूका हैं की इस उद्योग में काम करने वाले कर्मचारी गूगल और माइक्रोसॉफ्ट में काम करने वाले के बराबर फक्र महसूस कर सकते हैं | अब वह बाते इतिहास हो गयी जब हमें आधे घंटे बैठ कर किसी को ये समझाना पड़ता था की पीआर होता क्या हैं और कैसे हम मीडिया से अलग हैं | मैं बिहार के एक छोटे से गाँव से आता हूँ और मुझे खुद भी अपने घरवालो को पीआर समझाने में साल लग गए | और तो और शादी के लिए आने वाले रिश्ते भी पीआर में काम करने वाले हम जैसे लडकों को निराशा ही हाथ लगाती थी | हालाँकि अब परिस्थिति कुछ और हैं | रिश्ते भी आते हैं और घर वाले भी पीआर के नज़र से रोज के अख़बार और टीवी देखते हैं | शायद उनको पीआर का डर भाने लगा हो | फ़िलहाल मैं आपको सोनाक्षी सिन्हा के मशहूर डाइअलॉग के एक लिंक के साथ छोड़े जा रहा हूँ| आप आनंद लेते रहे | 

नोट :- लेखक का दबंगफिल्म वाली सोनाक्षी सिन्हा से कोई लेना देना नहीं हैं

आनद लेने के लिए यहाँ क्लिक करे - https://www.youtube.com/watch?v=Wi6lnJqcbtE

                        लेखक गौरव गौतम -‘पि. आर प्रोफेशनल्स’



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