“प्रत्युषा बनर्जी” टूटे रिश्ते को जोड़ने की असफल कोशिश

महिलाएं नजदीकी रिश्तों को लेकर बहुत भावुक होती है | महिलाओं में टूट चुके रिश्तों से भी चिपके रहने की प्रवत्ति होती है | यह कुछ वैसा ही है, जैसे बंदरिया कई बार मृत बच्चे को चिपकाकर घुमती-फिरती रहती है | इसके पीछे की असली वजह महिलाएं हर रिश्ते को बिल्कुल बच्चों की तरह पालती-पोसती है | यहाँ तक की वे टूट चुके रिश्तों के भो फिर से जुड़ने की उम्मीद संजोये रखती है | इसकी वजह यह है की स्त्री को पैदा होने के साथ ही यह घुट्टी की तरह पिलाया जाता है की स्त्री बलिदान के लिए पैदा हुई है |

इसका जीता जागता उदाहरण टीवी जगत की मशहूर अभिनेत्री प्रत्युषा बनर्जीकी सनसनीखेज तरीके से हुई आत्महत्या है | बालिका वधु से सभी के दिलो पर राज़ करने वाली आनंदी आज सभी का दिल तोड़ कर हम सभी से दूर चली गयी | असली वजह किसी को नही पता लेकिन एक बात तो साफ तौर पर सामने आ चुकी है की आत्महत्या की असली वजह रिश्तों की उलझन ही थी | यह तो कहना मुश्किल है किस रिश्ते की उलझन ने प्रत्युषा को यह कदम उठाने पर मजबूर कर दिया लेकिन यह बात स्पष्ट है की तलाक रिश्तों को तोड़ जरुर सकता है लेकिन जोड़ नही सकता | उनके बायफ्रैंड जिनसे उनकी शादी होने की खबरे आ रही थी वह पहले से शादीशुदा है शायद यह बात उन्हें नही पता थी और यह भी एक वजह हो सकती है की उन्होंने यह कदम उठा लिया |

ऐसे में यह स्पष्ट है की इस तरह के विरोधी हालात में यदि कोई ठोस कदम समय रहते नही उठाया जाये तो नतीजे मौत के रूप में सामने आते है | मेरा पक्का दावा और यकीन की जब दो लोग औपचारिक या उस जैसे ही किसी रिश्ते में बंधते है तो उन्हें उसे बनाये रखने की लिए ज्यादा कोशिश करनी चाहिए | रिश्तों को फलने-फूलने के लिए अपनी ओर से गंभीरतापूर्वक और बेहतर कोशिश करनी चाहिए | यह ईश्वर की बुद्धिमत्ता है की उसने दोनों को बराबर का जोड़ीदार बनाकर धरती पर भेजा | उन्हें एक दूसरे को प्रेम,सहारा और आदर देना है | उन्हें एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम होना चाहिए और एक दूसरे को परस्पर उचित प्यार,हिफाज़त एवं आदर देना चाहिए |

ऐसा नही है की हम सब इसको लेकर सचेत नहीं है | ऐसा भी नही है की सभी पुरुष बुरे है और सभी औरतें अच्छी होती है | पुरुष और औरत दोनों में सच्चा साथी और सच्चा प्यार पाने की तीव्र इच्छा होती है | साथ रहने में कभी- कभी कुछ बातों पर मतभेद हो सकते है | ऐसे हालात में आपसी समझदारी से कुछ बातों पर समझौता करके साथ रहने की कोशिश करनी चाहिए | लेकिन अपनी कीमती ज़िन्दगी को कभी दांव पर नही लगाना चाहिए आखिर  आप किसके लिए मर रहे है क्या आपके मरने के बाद सबकुछ ठीक हो जायेगा ? और वास्तविक रूप से इसका उत्तर नहीं है तो इसका मतलब आपका कदम बेवकूफी भरा है.... 

                              लेखिका सुकीर्ति गुप्ता -‘पी आर प्रोफेशनल्स’


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