बच्चे अब बच्चे नही रहे !
आज
सबसे बड़ा सवाल यही है की किस से डरा जाये आतंकवाद से या फिर अपने ही देश में पनपने
वाले आतंक से | वर्तमान
स्थिति के अनुसार आतंकवाद से कहीं ज्यादा खतरनाक घर का आतंक है जो हर रोज़ हजारो
जिंदगियों को अलग अलग तरीके से बर्बाद कर रहा है | बाहरी
आतंकवाद हमे इतना नुकसान नही पंहुचा रहा जितना की अपने लोगों द्वारा
पहुँचाया जा रहा है | जो युवा हमारे देश का भविष्य है वही
युवा हमारे देश को बर्बाद करने पर तुले हुए है और इसके लिए सिर्फ वही ज़िम्मेदार
नही है बल्कि माँ बाप, सरकार,कानून
व्यवस्था,इन्टरनेट, नशाखोरी जैसी कई
वजहें है |
आज के
समय में हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती महिलाओं की सुरक्षा है| आखिर कौन करेगा इनकी रक्षा, जिन नौजवानों पर हम गर्व के साथ इस ज़िम्मेदारी को डालना चाहते थे
उन्होंने तो ऐसी हालत कर दी है की वो महिलाओं की चिंता न ही करे वो ही बेहतर है |
लोगों को आज एक निर्भया काण्ड याद है लेकिन ऐसे सैकड़ों काण्ड हर रोज़
हो रहे है और इन में से अधिकतर अपराधों में 16 वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक के नौजवानों का गहरा योगदान है |
एक शोध के अनुसार भारत में 2003 में नाबालिक के हाथों होने वाले अपराधों की
संख्या 17,819 थी जो की कुल अपराधों का 1 प्रतिशत था जिसमे से पकडे गए नाबलिकों की
संख्या 33,320 थी जिसमे केवल 16 से 18 वर्ष तक के 54 प्रतिशत युवक शामिल थे |वहीं वर्ष 2013 तक यह आंकड़ा और भी डरावना हो गया
अगले दस वर्षों में युवाओं ने अपने क्राइम में तरक्की करते हुए केवल नाबलिकों के
हाथों होने वाले अपराधों की संख्या 31,725 तक पहुँच गई
और कुल अपराधों की तुलना में यह प्रतिशत 1.2 तक पहुँच गया | 2013
तक आते आते लगभग 43,506 नाबलिकों को किसी न किसी
अपराध के लिए पकड़ा गया और जिसमे 16 से 18 वर्ष के युवकों का प्रतिशत बढकर 63 पहुच गया |
हर
वर्ष हजारों नौजवान किसी न किसी घिनौने काम में शामिल हो रहे है जो की अत्यंत
चिंतनीय विषय है | लेकिन
इसके बावजूद इतने डरावने आंकडें सरकार को जगाने के लिए नाकाफी साबित हो रहे है |
आंकडें यह साबित कर रहे है की बच्चे अब बच्चे नही रहे बल्कि ज्यादा
ही बड़े हो गए है ऐसे में सरकार को कानून में जल्द से जल्द बदलाव कर इन्हें बालिग
होने का तमगा 16 वर्ष की उम्र के अन्दर ही दे दिया जाये | अब
16 बरस की उम्र बाली नही बल्कि काली हो चुकी है इसलिए सभी अभिवावकों से भी अनुरोध
है अपने बच्चों पर नज़र रखना बेहद जरुरी है कहीं आपका अधिक लाडपन और अंधा-विश्वास
आपके बच्चे के भविष्य को अँधेरे में न धकेल दे |
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